अप्सरा वशीकरण मंत्र
सभी साधक अपने जीवन को अप्सरा वशीकरण मंत्र साधना सिद्धि का प्रयोग कर किसी भी कार्य को पूर्ण कर सकते है| आकर्षक शरीर, चेहरे से छलक पड़ने वाली सुंदरता, मोहित कर देने वाली बाॅडी लैंग्वेज या कहें शरीर विन्यास, बलशाली व सेहतमंद निरोगी काया के साथ-साथ लंबी उम्र की तमन्ना हर किसी को होती है। सुख-संपदा के साथ-साथ आंनद से भरी जीवनशैली और मनोवांछित जीवनसाथी कौन नहीं चाहता है? इसे पाने के लिए तंत्र-मंत्र साधनाअें में अप्सरा वशीकरण मंत्र और साधना का अहम् स्थान है। मान्यता है कि इस साधना से सुंदर अप्सरा जैसा सुख-सौंदर्य व समृद्धि हासिल की जा सकती है, जो जीवन में खुशियां भर देती हैं। इसके साधकों को ऐसा विश्वास है कि अप्सराओं की मंत्र साधना से वह सबकुछ हासिल हो सकता है, जिसकी कल्पना सपने में भी नहीं की जा सकती है। इसकी सिद्धि स्त्री व पुरुष अपने लिए सर्वश्रेष्ठ जीवनसाथी का अथाह प्रेम पाने और इच्छाओं की पूर्ति के लिए सदियों से करते आए हैं।
धर्मग्रंथों के अनुसार समुद्र मंथन में विभिन्न वस्तुओं के अतिरिक्त आठ अप्सराएं भी प्रकट हुई थीं। इनमें मुख्य हैं- मेनका, उर्वशी, रंभा, तिलोत्तमा, कृतस्थली, प्रम्लोचा, वार्चा और घृताची हैं। हालांकि देवराज इंद्र के स्वर्ग में 11 मुख्य अप्सराओं का वर्णन मिलता है। उनमें अप्रतीम सौंदर्य और दिव्य शक्तियां थीं। स्वर्ग के देवों को यूं प्रतीत होता था जैसे उनका रूप-रंग, शक्ति और यौवन विरासत में मिला हो। उनके शरीर से निकलने वाली गुलाब और दूसरे तरह की भीनी-भीनी खुशबू किसी को भी एक नजर में देखे वगैर आकर्षित करने के लिए काफी थीं। उनमें अगर गजब का समर्पण होता था, तो वे सजी-धजी रहते हुए निश्छल प्रेम का प्रतीक बनकर सुख-शांति का पाठ पढ़ाती थीं।
कैसे और कैसी साधानाएं
अप्सराओं की वशीकरण साधना के लिए नियमपूर्वक मंत्र का जाप बताए गए दिशा-निर्देश के अनुसार निर्धारित दिनों की समय-सीमा में किया जाता है। इस दौरान सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि काम भाव पर पूरी तरह से नियंत्रण रखा जाता है, यानि वासना मुक्त साधना से ही इसकी सफलता संभव हो पाती है।
उर्वशी वशीकरणः इसके लिए की जाने वाली साधना के लिए आवश्यक सामग्रियों में प्राण प्रतिष्ठित उर्वशीत्कीलन यंत्र, उर्वशी की माला, सुगंध, मुद्रिका और कुछ पूजन सामग्री होनी चाहिए। साधना का सही समय माह के किसी शुक्रवार को आधी रात है। चंद्रग्रहण की रात काफी उपयुक्त मानी गई है। साधान के लिए निर्जन स्थान का चयनकर सफेद वस्त्र का आसन बनाया जाता है, तथा पीले चावल से यंत्र बना लिया जाता है। सुगंध का छिड़काव करने और स्वयं लगाने के बाद साधना के लिए उत्तर दिशा की ओर मुखकर आसन लगाया जाता है। भगवान गणेश का स्मरण कर स्फटिक की मणीमाला से 51 बार मंत्र का जाप किया जाना चाहिए। इस अनुष्ठान को कुल सात, 11 या 21 दिनों तक किया जाना चाहिए। अंतिम दिन 10 माल का जाप करना चाहिए।
मंत्रः ऊँ उर्वशी प्रियं वशं करी हुं!
ऊँ ह्रीं उर्वशी अप्सराय आगच्छागच्छ स्वाहा!!
इस मंत्र के नीचे अपना नाम लिखकर उर्वशी माला से नीचे दिए गए मंत्र का 101 माला जाप किया जाना चाहिए।
मंत्रः ऊँ ह्रीं उर्वशी मम प्रिय मम चित्तानुरंजन करि करि फट!!
विवाह में आनेवाली बाधा को दूर करने या सुंदर जीवनसाथी की प्राप्त करने के लिए उर्वशी साधना का ही एक अन्य मंत्र हैः-
ऊँ नमो भगवती उर्वशी देवी देही सुंदर भार्या कुल केतू पद्य्मनी।
सधना के बाद जिस किसी को अपने वश में करना चाहते हैं उसे संकल्पित मिठाई, गुलाब के फूल या उपहार की वस्तुएं भेंट करें।
तिलोत्तम अप्सरा साधनाः यह साधना अगर अनुभूत की जा सकती है, तो इसकी साधना-सिद्धि से सभी तरह के सुखों का प्राप्त किया जा सकता है, जो भाग्योदय से कम नहीं होता है। सिंदूर, चावल, नैवेद्य, गुालब के फूल, धुप, अगरबत्ती, कुमकुम, घी, दीपक, अष्टगंध आदि से की पूजा का विधि-विधान रात्री के दस बजे के बाद किया जाना चाहिए। इसकी शुरूआत कुछ संकल्पों और श्रीगणेश की पूजा के साथ की जानी चाहिए। तिलोत्तमा अप्सरा ध्यान करते हुए दोनों हाथ फैलाकर घुटने के बल बैठकर इस मंत्र का 21 बार उच्चारण करते हुए जाप करना चाहिए। यह प्रक्रिया 11 दिनों तक अपनाई जाती है।
मंत्रः ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं श्रीं तिलोत्तमा अप्सरा आगच्छ आगच्छ स्वाहा!!
हर बार मंत्र जाप पर एक गुलाब थाल में रखते जाएं और मन में विचार करें कि अप्सार का आगमन हो चुका है। उसके बाद गुलाबों पर सुगंध का छिड़काव करते हुए उसका तिलक खुद भी लगाते हुए बोलेंः- ऊँ अपूर्व सौंर्दयायै, अप्सरायै सिद्धिये नमः!
इसी के विभिन्न वस्तुओं के अर्पण के साथ मंत्र का पाठ करें।
रंभा अप्सरा साधनाः अन्य अप्सरा साधना की तरह ही रंभा अप्सरा वशिकरण के लिए निम्न मंत्र का पंचोपचार पूजा-अर्चना के बाद रम्भेत्किलन यंत्र के सामने जाप करना चाहिए।
मंत्रः ऊँ दिव्यायै नमः! ऊँ वागीश्वरायै नमः!
ऊँ सौंदर्या प्रियायै नमः! ऊँ यौवन प्रियायै नमः!
ऊँ सौभाग्दायै नमः! ऊँ आरोग्यप्रदायै नमः!
ऊँ प्राणप्रियायै नमः! ऊँ उजाश्वलायै नमः! ऊँ देवाप्रियायै नमः!
ऊँ ऐश्वर्याप्रदायै नमः! ऊँ धनदायै रम्भायै नमः!
इस मंत्र के जाप और रंभा अप्सारा की साधना से जीवन में हर तरह की खुशियों का संचार हो जाता अैर मन-मस्तिष्क कामकाज में एकाग्र बना रहता है।
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