Vashikaran Remedies

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तंत्र मंत्र यंत्र वशीकरण

तंत्र मंत्र यंत्र वशीकरण

क्या आप तंत्र मंत्र यंत्र वशीकरण के बारे में जानते है ? बदले हुए अत्याधुनिक जीवनशैली और रहन-सहन में भी तंत्र की ताकत और मंत्र के उच्चारण की महिमा को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। उनसे अगर हर प्रकार के मनोकामना की पूर्ति की जा सकती है, तो यंत्रों की सिद्धियों से सुख, एश्वर्य, वैभव, धन-धान्य के अलावा अचानक आ गई मुसिबतों से छुटकारा भी मिल सकता है।

भारतीय अध्यात्म को पूरे विश्व में श्रेष्ठ माने जाने की एक महत्वपूर्ण वजह तंत्र, मंत्र और यंत्र की आध्यात्मिक शक्ति भी है। इनसे प्रत्येक व्यक्ति को किसी न किसी रूप में प्रभावित रहता है। दैनिक जीवन में इनकी बदौलत संकट से निपटने, या कहें संघर्ष करने की क्षमता हासिल की जा सकती है। इनमें निराशा को आशा में बदलने की अद्भुत शक्ति होती है, जिसके लिए बताए गए विधियों से साधनाएं की जाती हैं।

तंत्र मंत्र यंत्र वशीकरण

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तंत्र वशीकरण क्या है?

तंत्र को सामान्य बोलचाल की भाषा में साधना का मार्ग भी कहा जा सकता है। साधना अर्थात किसी कार्य को करने से पहले किया गया अध्ययन, चिंतन और मनन है। यह हमें न केवल छिपी राह दिखाने में सहायक है, बल्कि दुर्गम मार्ग पर निर्वाधित दौड़ लगाने के लिए तरीके भी बताता है। इस कारण इसे अभिष्टकारी मार्ग भी कहा गया है। इसमें ज्ञान, योग, भक्ति और कर्म सभी समाहित होते हैं।

ज्ञान से अगर किसी कार्य को समझने में मदद मिलती है, तो योग से उसे पूरा करने की तकनीकी जानकारी हासिल होती है। भक्ति से उस कार्य के प्रति समर्पण की भावना आती है और तभी हम कर्म की ओर अग्रसर हो पाते हैं। ये सभी परस्पर एक-दूसरे का पूरक होते हैं। यही तंत्र का मूल आधार है, जिनसे  विकट से विकट राह भी आसान बन जाती है।

साधना से ज्ञान की प्रप्ति होती है, तो समाधी लगाने से प्राप्त ज्ञान को संबल मिलता है। ज्ञान की प्रप्ति और हठ योग जैसी साधना श्रद्धा-भक्ति से ही संभव हो पाती है। भक्ति के मार्ग पर चलकर साधक ज्ञान को समृद्ध कर खुद को संतुलित कर अपने भीतर सकारात्मक ऊर्जा को भर लेता है और साम्राज्य की प्रप्ति के क्रम में अग्रसर हो जाता है। इसके बाद जो कर्म का सिलसिला चल पड़ता है उसमें बाधा नहीं आती है। कहा गया है कि तंत्र भोग और मोक्ष दोनों को देता है। तंत्र का अर्थ देवी-देवताओं के पूजन और उनकी अराधना से है। उनकी पूजा से प्रकृति और परमात्मा को अनुकूल बनाया जा सकता है। अर्थात  परमेश्वर की उपासना में जो भी उपयोगी साधना होती है, वही तंत्र है।

वशीकरण मंत्र क्या है?

कोई भी साधना मंत्र के बगैर पूर्ण नहीं हो सकती। किसी मंत्र का चयन मनोवांछित संकल्प की साधना के अनुरूप किया जाता है तथा उसका दोषरहित उच्चारण बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसे बोलने वाले, सुनने वाले और इसके भाव को उपदेश बनाने वाले तीनों को मंत्र का अप्रत्याशित लाभ मिलता है। वैदिक मंत्रों के अतिरिक्त साबर मंत्र भी काफी प्रभावशाली होते हैं। इन मंत्रों में शब्द शक्ति, मानसिक एकाग्रता, चारित्रिक विशिष्टता और मनोवांछित लक्ष्य से संबद्ध अटूट श्रद्धा एवं विश्वास की अद्भुत शक्ति होती है। इनका प्रयोग वशीकरण के लिए किया जाता है, जिसकी साधना सच्चे मन और वैदिक नियमों से की जाती है। वशीकरण के भी कई मंत्र हैं, जिनका प्रयोग शुभ तिथि, शुभ वार और शुभ समय में करने की सलाह दी जाती है। कुछ खास मंत्र इस प्रकार हैंः-

  • धनप्राप्ति के मंत्रः ओम ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय-पूरय चिंतायै दूरय-दूरय स्वाहा।
  • लक्ष्मी मंत्रः ओम ह्रीं महालक्ष्मी ओं हीं
  • आर्थिक तरक्कीः ओम श्रीं ओं क्लीं श्रीं क्लीं विश्वेश्वराय नमः
  • मुकदमे में सफलता का मंत्रः ओम नीली-नीली-महानीली(यहां शत्रु पक्ष या जज का नाम लें) जीभि तालू सर्व खिली, सही खिलो तत्क्षणाय स्वाहाः
  • भैरव वशीकरण मंत्रः ओम नमो रुद्राय, कपिलाय, भैरवाय, त्रिलोकनाथाय ओम ह्रीं फट् स्वाहा
  • वशीकरण मंत्रः ओम भ्रां भ्रां भूं भैरवाय स्वाहा। ओम भं भं भं अमुक मोहनाय स्वाहा
  • तंत्र साधना के श्लोकः शिवःशक्त्या युक्तो यदि भवति शक्तः न चेदेवं देवो न खलु कुशलः स्पंदितुमपि
  • वशीकरण का सूर्य मंत्रः ओम नमो भगवते श्रीसूर्याय ह्रीं सहस्त्र किरणाय ऐं अतुल-बल-पराक्रमाय नव ग्रह दश दिक पाल लक्ष्मी देव वाय , धर्म कर्म सहितायै अमुक नाथय नाथय मोहय मोहय आकर्षण, आकर्षण दासानुदासं कुरु कुरु स्वाहा।

यंत्र वशीकरण क्या है?

यंत्र विशेष कागज या धातु (चांदी या तांबा ) का छोटा सा वर्गाकार टुकड़ा होता है, जिसपर एक से नौ तक के मूल अंकों की गणितीय प्रणाली नौ वर्गाकार खानों खास तरह से अंकित की गई होती है। पहले इसे भोज पत्र पर लिखा जाता था। यंत्र शब्द का अर्थ यम है। भागवत के अनुसार यंत्र की पूजा इष्टदेव की तरह करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इनकी पूजा से देवता प्रसन्न होते हैं।

यंत्र एक तरह से मंत्र का ही एक रूप है। यंत्र और देवता में किसी भी प्रकार का फर्क नहीं है। यही नहीं यंत्र को सभी तरह की सिद्धियों का द्वार माना गया है। इसमं स्थान, दिशा, कोण आदि को दर्शाया जाता है जिनमें अनगिनत दिव्य शक्तियांे समावेश होता है, जो व्यक्ति की इच्छापूर्ति में सहायक सिद्ध होता है। कुछ यंत्र के दर्शन मात्र से ही अप्रत्याशित लाभ मिल जाते हैं। अर्थात ये यंत्र मनोकामनाओं के अनुरूप कई तरह की उपयोगिता समेटे होते हैं।

कुछ यंत्र वैदिक तो कुछ तांत्रिक भी होते हैं। वे हैंः- श्रीयंत्र, श्रीलक्ष्मी यंत्र, गायत्री यंत्र, नवग्रह यंत्र, कुबेर यंत्र, कालसर्प यंत्र, सम्मोहन या वशीकरण यंत्र, भैरव यंत्र, संतान गोपाल यंत्र, नवदुर्गा यंत्र, हनुमान यंत्र, कनकधारा यंत्र, संतान प्राप्ति यंत्र, प्रेत-बधा निवारण यंत्र, धनप्राप्ति सिद्धि बीसा यंत्र इत्यादि। वैसे अलौकिक शक्तियों वाली यंत्रों के प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता है। कई यंत्र तो मिनटों में असर दिखाते हैं।

वशीकरण साधना और सिद्धियां

तंत्र-मंत्र-यंत्र की साधना अैर सिद्धियां विविध आवश्यकताओं के अनुरूप की जाती हैं। सांसारिक सुख-सुविधाओं के अतिरिक्त आध्यात्मिक विशिष्टताओं के लिए की जाने वाली सिद्धियों में तंत्र साधना, मंत्र साधना, यंत्र साधना और योग साधना को महत्वपूर्ण माना गया है। इनके महत्व और तरीके इस प्रकार होते हैंः-

  • तंत्रिक साधना वाम मार्गी और दक्षिण मार्गी दो तरह से किए जाते हैं। वाम मार्गी साधाना षटकर्म कहलाती है, क्योंकि इसमें छह तरह के कर्म करने होते हैं। इसके लिए उपयुक्त मंत्र ‘‘शांति, वक्ष्य, स्तम्भनानि, विद्वेषणोच्चाटने तथा, गोरणों तनिसति षट कर्माणि मणषणः।।’’ है।
  • म्ंत्र साधना को भौतिक बाधाओं को दूर करने वाला एक कारगर आध्यात्मिक उपचार बताया गया है। इसमें किसी देवी या देवता की साधना वैदिक मंत्र से की जाती है। या फिर तांत्रिक मंत्र से भूत या पिशाच को साधा जाता है। शाबर मंत्र टोटके को प्रभावकारी बनाने के लिए किया जाता है।
  • यंत्र साधना एक कवच की तरह है, जिसमें अंक और मंत्रों के शब्द प्रभाव दिखाते हैं। इसे वशीकरण, सम्मोहन, धनोपार्जन, शत्रु-विनाश, शुभकार्य, भूत-बाधा निवारण, अहित की आशंका से बचाव या अप्रत्याशित घटनाओं से सुरक्षा आदि के लिए उपयोग में लाया जाता है। यंत्र की उपयोगिता और लाभ उसकी निर्धारित दिशा पर निर्भर करती है।
  • सम्मोहन यंत्र का एक मंत्र हैः- ओम सं सौन्दर्योत्तमायै नमः।

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